
२०१८ स्कन्द षष्ठी व्रत के दिन उज्जैन, मध्यप्रदेश, इण्डिया के लिए

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२०१८ स्कन्द षष्ठी
वर्ष: | २०१८ स्कन्द षष्ठी व्रत के दिन उज्जैन, इण्डिया के लिए |
स्कन्द षष्ठी, कन्द षष्ठी व्रतम २०१८

स्कन्द षष्ठी
षष्ठी तिथि भगवान स्कन्द को समर्पित हैं। शुक्ल पक्ष की षष्ठी के दिन श्रद्धालु लोग उपवास करते हैं। षष्ठी तिथि जिस दिन पञ्चमी तिथि के साथ मिल जाती है उस दिन स्कन्द षष्ठी के व्रत को करने के लिए प्राथमिकता दी गयी है। इसीलिए स्कन्द षष्ठी का व्रत पञ्चमी तिथि के दिन भी हो सकता है।
स्कन्द षष्ठी को कन्द षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है।
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२२ | जनवरी | (सोमवार) | स्कन्द षष्ठी |
२१ | फरवरी | (बुधवार) | स्कन्द षष्ठी |
२२ | मार्च | (बृहस्पतिवार) | स्कन्द षष्ठी |
२१ | अप्रैल | (शनिवार) | स्कन्द षष्ठी |
२० | मई | (रविवार) | स्कन्द षष्ठी |
१८ | जून | (सोमवार) | स्कन्द षष्ठी |
१७ | जुलाई | (मंगलवार) | स्कन्द षष्ठी |
१६ | अगस्त | (बृहस्पतिवार) | स्कन्द षष्ठी |
१४ | सितम्बर | (शुक्रवार) | स्कन्द षष्ठी |
१४ | अक्टूबर | (रविवार) | स्कन्द षष्ठी |
१३ | नवम्बर | (मंगलवार) | सूर सम्हारम |
१३ | दिसम्बर | (बृहस्पतिवार) | सुब्रहमन्य षष्ठी |
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सूर्योदय और सूर्यास्त के मध्य में जब पञ्चमी तिथि समाप्त होती है या षष्ठी तिथि प्रारम्भ होती है तब यह दोनों तिथि आपस में संयुक्त हो जाती है और इस दिन को स्कन्द षष्ठी व्रत के लिए चुना जाता है। इस नियम का धरमसिन्धु और निर्णयसिन्धु में उल्लेख किया गया है। तिरुचेन्दुर में प्रसिद्ध श्री सुब्रहमन्य स्वामी देवस्थानम सहित तमिल नाडु में कई मुरुगन मन्दिर इसी नियम का अनुसरण करते हैं। अगर एक दिन पूर्व षष्ठी तिथि पञ्चमी तिथि के साथ संयुक्त हो जाती है तो सूरसम्हाराम का दिन षष्ठी तिथि से एक दिन पहले देखा जाता है।
हालाँकि सभी षष्ठी तिथि भगवान मुरुगन को समर्पित है लेकिन कार्तिक चन्द्र मास (ऐप्पासी या कार्तिकाई सौर माह) के दौरान शुक्ल पक्ष की षष्ठी सबसे मुख्य होती है। श्रद्धालु इस दौरान छः दिन का उपवास करते हैं जो सूरसम्हाराम तक चलता है। सूरसम्हाराम के बाद अगला दिन तिरु कल्याणम के नाम से जाना जाता है।
सूरसम्हाराम के बाद आने वाली अगली स्कन्द षष्ठी को सुब्रहमन्य षष्ठी के नाम से जाना जाता है जिसे कुक्के सुब्रहमन्य षष्ठी भी कहते हैं और यह मार्गशीर्ष चन्द्र मास के दौरान पड़ती है।
भगवान मुरुगन के प्रसिद्ध मन्दिर
निम्नलिखित छः आवास जिसे आरुपदै विदु के नाम से जाना जाता है, इण्डिया के तमिल नाडु प्रदेश में भगवान मुरुगन के भक्तों के लिए बहुत ही मुख्य तीर्थस्थानों में से हैं।
इण्डिया के कर्णाटक प्रदेश में मंगलौर शहर के पास कुक्के सुब्रमण्या मन्दिर भी बहुत प्रसिद्ध तीर्थस्थान है जो भगवान मुरुगन को समर्पित हैं लेकिन यह भगवान मुरुगन के उन छः निवास स्थान का हिस्सा नहीं है जो तमिल नाडु में स्थित हैं।
हालाँकि सभी षष्ठी तिथि भगवान मुरुगन को समर्पित है लेकिन कार्तिक चन्द्र मास (ऐप्पासी या कार्तिकाई सौर माह) के दौरान शुक्ल पक्ष की षष्ठी सबसे मुख्य होती है। श्रद्धालु इस दौरान छः दिन का उपवास करते हैं जो सूरसम्हाराम तक चलता है। सूरसम्हाराम के बाद अगला दिन तिरु कल्याणम के नाम से जाना जाता है।
सूरसम्हाराम के बाद आने वाली अगली स्कन्द षष्ठी को सुब्रहमन्य षष्ठी के नाम से जाना जाता है जिसे कुक्के सुब्रहमन्य षष्ठी भी कहते हैं और यह मार्गशीर्ष चन्द्र मास के दौरान पड़ती है।
भगवान मुरुगन के प्रसिद्ध मन्दिर
निम्नलिखित छः आवास जिसे आरुपदै विदु के नाम से जाना जाता है, इण्डिया के तमिल नाडु प्रदेश में भगवान मुरुगन के भक्तों के लिए बहुत ही मुख्य तीर्थस्थानों में से हैं।
- पलनी मुरुगन मन्दिर (कोयंबटूर से १०० किमी पूर्वी-दक्षिण में स्थित)
- स्वामीमलई मुरुगन मन्दिर (कुंभकोणम के पास)
- तिरुत्तनी मुरुगन मन्दिर (चेन्नई से ८४ किमी)
- पज्हमुदिर्चोलाई मुरुगन मन्दिर (मदुरई से १० किमी उत्तर में स्थित)
- श्री सुब्रहमन्य स्वामी देवस्थानम, तिरुचेन्दुर (तूतुकुडी से ४० किमी दक्षिण में स्थित)
- तिरुप्परनकुंद्रम मुरुगन मन्दिर (मदुरई से १० किमी दक्षिण में स्थित)
इण्डिया के कर्णाटक प्रदेश में मंगलौर शहर के पास कुक्के सुब्रमण्या मन्दिर भी बहुत प्रसिद्ध तीर्थस्थान है जो भगवान मुरुगन को समर्पित हैं लेकिन यह भगवान मुरुगन के उन छः निवास स्थान का हिस्सा नहीं है जो तमिल नाडु में स्थित हैं।
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