
२०१८ रक्षा बन्धन का दिन और शुभ समय उज्जैन, मध्यप्रदेश, इण्डिया के लिए

- होम »
- रक्षा बन्धन


२०१८ रक्षा बन्धन मुहूर्त
वर्ष: | २०१८ में राखी का दिन और शुभ समय उज्जैन, इण्डिया के लिए |
रक्षा बन्धन
२६वाँ
अगस्त २०१८
(रविवार)
(रविवार)
रक्षा बन्धन
रक्षा बन्धन पर राखी बाँधने का शुभ मुहूर्त
रक्षा बन्धन अनुष्ठान का समय = ०६:११ से १७:२६
अवधि = ११ घण्टे १५ मिनट्स
रक्षा बन्धन के लिये अपराह्न का मुहूर्त = १३:४४ से १६:१५
अवधि = २ घण्टे ३१ मिनट्स
रक्षा बन्धन के दिन भद्रा सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ = २५/अगस्त/२०१८ को १५:१६ बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त = २६/अगस्त/२०१८ को १७:२५ बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त = २६/अगस्त/२०१८ को १७:२५ बजे
टिप्पणी - २४ घण्टे की घड़ी उज्जैन के स्थानीय समय के साथ और सभी मुहूर्त के समय के लिए डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है)।
२०१८ रक्षा बन्धन
रक्षा बन्धन का त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।
अपराह्न का समय रक्षा बन्धन के लिये अधिक उपयुक्त माना जाता है जो कि हिन्दु समय गणना के अनुसार दोपहर के बाद का समय है। यदि अपराह्न का समय भद्रा आदि की वजह से उपयुक्त नहीं है तो प्रदोष काल का समय भी रक्षा बन्धन के संस्कार के लिये उपयुक्त माना जाता है।
भद्रा का समय रक्षा बन्धन के लिये निषिद्ध माना जाता है। हिन्दु मान्यताओं के अनुसार सभी शुभ कार्यों के लिए भद्रा का त्याग किया जाना चाहिये। सभी हिन्दु ग्रन्थ और पुराण, विशेषतः व्रतराज, भद्रा समाप्त होने के पश्चात रक्षा बन्धन विधि करने की सलाह देते हैं।
भद्रा पूर्णिमा तिथि के पूर्व-अर्ध भाग में व्याप्त रहती है। अतः भद्रा समाप्त होने के बाद ही रक्षा बन्धन किया जाना चाहिये। उत्तर भारत में ज्यादातर परिवारों में सुबह के समय रक्षा बन्धन किया जाता है जो कि भद्रा व्याप्त होने के कारण अशुभ समय भी हो सकता है। इसीलिये जब प्रातःकाल भद्रा व्याप्त हो तब भद्रा समाप्त होने तक रक्षा बन्धन नहीं किया जाना चाहिये। द्रिक पञ्चाङ्ग रक्षा बन्धन के लिये भद्रा-रहित शुभ मुहूर्त उपलब्ध कराता है।
कुछ लोगो का ऐसा मानना है कि प्रातःकाल में, भद्रा मुख को त्याग कर, भद्रा पूँछ के दौरान रक्षा बन्धन किया जा सकता है। द्रिक पञ्चाङ्ग की टीम को किसी भी हिन्दु ग्रन्थ और पुराण में इसका सन्दर्भ नहीं मिला और हम भद्रा के दौरान किसी भी रक्षा बन्धन मुहूर्त का समर्थन नहीं करते हैं।
अशुभ समय पर रक्षा बन्धन करने की भूल से बचने के लिये हम किसी अच्छे पञ्चाङ्ग, जैसे कि द्रिक पञ्चाङ्ग, देखने की सलाह देते हैं। द्रिक पञ्चाङ्ग विश्व के सभी शहरों के लिये रक्षा बन्धन का शुभ मुहूर्त उपलब्ध कराता है।
रक्षा बन्धन का त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।
अपराह्न का समय रक्षा बन्धन के लिये अधिक उपयुक्त माना जाता है जो कि हिन्दु समय गणना के अनुसार दोपहर के बाद का समय है। यदि अपराह्न का समय भद्रा आदि की वजह से उपयुक्त नहीं है तो प्रदोष काल का समय भी रक्षा बन्धन के संस्कार के लिये उपयुक्त माना जाता है।
भद्रा का समय रक्षा बन्धन के लिये निषिद्ध माना जाता है। हिन्दु मान्यताओं के अनुसार सभी शुभ कार्यों के लिए भद्रा का त्याग किया जाना चाहिये। सभी हिन्दु ग्रन्थ और पुराण, विशेषतः व्रतराज, भद्रा समाप्त होने के पश्चात रक्षा बन्धन विधि करने की सलाह देते हैं।
भद्रा पूर्णिमा तिथि के पूर्व-अर्ध भाग में व्याप्त रहती है। अतः भद्रा समाप्त होने के बाद ही रक्षा बन्धन किया जाना चाहिये। उत्तर भारत में ज्यादातर परिवारों में सुबह के समय रक्षा बन्धन किया जाता है जो कि भद्रा व्याप्त होने के कारण अशुभ समय भी हो सकता है। इसीलिये जब प्रातःकाल भद्रा व्याप्त हो तब भद्रा समाप्त होने तक रक्षा बन्धन नहीं किया जाना चाहिये। द्रिक पञ्चाङ्ग रक्षा बन्धन के लिये भद्रा-रहित शुभ मुहूर्त उपलब्ध कराता है।
कुछ लोगो का ऐसा मानना है कि प्रातःकाल में, भद्रा मुख को त्याग कर, भद्रा पूँछ के दौरान रक्षा बन्धन किया जा सकता है। द्रिक पञ्चाङ्ग की टीम को किसी भी हिन्दु ग्रन्थ और पुराण में इसका सन्दर्भ नहीं मिला और हम भद्रा के दौरान किसी भी रक्षा बन्धन मुहूर्त का समर्थन नहीं करते हैं।
अशुभ समय पर रक्षा बन्धन करने की भूल से बचने के लिये हम किसी अच्छे पञ्चाङ्ग, जैसे कि द्रिक पञ्चाङ्ग, देखने की सलाह देते हैं। द्रिक पञ्चाङ्ग विश्व के सभी शहरों के लिये रक्षा बन्धन का शुभ मुहूर्त उपलब्ध कराता है।
रक्षा बन्धन से सम्बन्धित अन्य पृष्ठ
- राखी रक्षा बन्धन के बारे में जानकारी
- राखी पूजा विधि धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार पूजा विधि
- उपाकर्म संस्कार जनेऊ बदलने का उत्तम समय
- राखी ग्रीटिंग्स रक्षा बन्धन के लिए ई-कार्ड्स
- राखी मेहन्दी रक्षा बन्धन के लिए मेहन्दी कलाकृति
- भद्रा काल रक्षा बन्धन का निषिद्ध समय
- राखी सन्देश भावना व्यक्त करने के लिए सन्देशें
- राखी पूजा थाली रक्षा बन्धन के लिए पूजा थाली की तैयारी
- राखी कथा रक्षा बन्धन की पौराणिक कथा
10.160.15.207