
२०२० करवा चौथ व्रत का दिन और पूजा का समय Melbourne, Victoria, ऑस्ट्रेलिया के लिए

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२०२० करवा चौथ
वर्ष: | २०२० करवा चौथ व्रत और पूजा का समय Melbourne, ऑस्ट्रेलिया के लिए |
करवा चौथ
४वाँ
नवम्बर २०२०
(बुधवार)
(बुधवार)
करवा चौथ के दिन चन्द्र दर्शन
करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय
करवा चौथ पूजा मुहूर्त = १९:५४ से २०:५६
अवधि = १ घण्टा १ मिनट
करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय = २३:२८
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ = ४/नवम्बर/२०२० को ०८:५४ बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त = ५/नवम्बर/२०२० को १०:४४ बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त = ५/नवम्बर/२०२० को १०:४४ बजे
टिप्पणी - २४ घण्टे की घड़ी Melbourne के स्थानीय समय के साथ और सभी मुहूर्त के समय के लिए डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है)।
२०२० करवा चौथ
करवा चौथ का व्रत कार्तिक हिन्दु माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दौरान किया जाता है। अमांत पञ्चाङ्ग जिसका अनुसरण गुजरात, महाराष्ट्र, और दक्षिणी भारत में किया जाता है, के अनुसार करवा चौथ अश्विन माह में पड़ता है। हालाँकि यह केवल माह का नाम है जो इसे अलग-अलग करता है और सभी राज्यों में करवा चौथ एक ही दिन मनाया जाता है।
करवा चौथ का दिन और संकष्टी चतुर्थी, जो कि भगवान गणेश के लिए उपवास करने का दिन होता है, एक ही समय होते हैं। विवाहित महिलाएँ पति की दीर्घ आयु के लिए करवा चौथ का व्रत और इसकी रस्मों को पूरी निष्ठा से करती हैं। विवाहित महिलाएँ भगवान शिव, माता पार्वती और कार्तिकेय के साथ-साथ भगवान गणेश की पूजा करती हैं और अपने व्रत को चन्द्रमा के दर्शन और उनको अर्घ अर्पण करने के बाद ही तोड़ती हैं। करवा चौथ का व्रत कठोर होता है और इसे अन्न और जल ग्रहण किये बिना ही सूर्योदय से रात में चन्द्रमा के दर्शन तक किया जाता है।
करवा चौथ के दिन को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। करवा या करक मिट्टी के पात्र को कहते हैं जिससे चन्द्रमा को जल अर्पण, जो कि अर्घ कहलाता है, किया जाता है। पूजा के दौरान करवा बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसे ब्राह्मण या किसी योग्य महिला को दान में भी दिया जाता है।
करवा चौथ दक्षिण भारत की तुलना में उत्तरी भारत में ज्यादा प्रसिद्ध है। करवा चौथ के चार दिन बाद पुत्रों की दीर्घ आयु और समृद्धि के लिए अहोई अष्टमी व्रत किया जाता है।
करवा चौथ का व्रत कार्तिक हिन्दु माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दौरान किया जाता है। अमांत पञ्चाङ्ग जिसका अनुसरण गुजरात, महाराष्ट्र, और दक्षिणी भारत में किया जाता है, के अनुसार करवा चौथ अश्विन माह में पड़ता है। हालाँकि यह केवल माह का नाम है जो इसे अलग-अलग करता है और सभी राज्यों में करवा चौथ एक ही दिन मनाया जाता है।
करवा चौथ का दिन और संकष्टी चतुर्थी, जो कि भगवान गणेश के लिए उपवास करने का दिन होता है, एक ही समय होते हैं। विवाहित महिलाएँ पति की दीर्घ आयु के लिए करवा चौथ का व्रत और इसकी रस्मों को पूरी निष्ठा से करती हैं। विवाहित महिलाएँ भगवान शिव, माता पार्वती और कार्तिकेय के साथ-साथ भगवान गणेश की पूजा करती हैं और अपने व्रत को चन्द्रमा के दर्शन और उनको अर्घ अर्पण करने के बाद ही तोड़ती हैं। करवा चौथ का व्रत कठोर होता है और इसे अन्न और जल ग्रहण किये बिना ही सूर्योदय से रात में चन्द्रमा के दर्शन तक किया जाता है।
करवा चौथ के दिन को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। करवा या करक मिट्टी के पात्र को कहते हैं जिससे चन्द्रमा को जल अर्पण, जो कि अर्घ कहलाता है, किया जाता है। पूजा के दौरान करवा बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसे ब्राह्मण या किसी योग्य महिला को दान में भी दिया जाता है।
करवा चौथ दक्षिण भारत की तुलना में उत्तरी भारत में ज्यादा प्रसिद्ध है। करवा चौथ के चार दिन बाद पुत्रों की दीर्घ आयु और समृद्धि के लिए अहोई अष्टमी व्रत किया जाता है।
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